जस्टिस इंद्रजीत महांति ने रविवार को राजस्थान हाईकोर्ट के 37 वें मुख्य न्यायाधीश के पद की शपत ली। हमारे यहां सबसे बड़ी चुनौती निचली अदालतों में 16 लाख और हाईकोर्ट के 4 लाख 44 हजार पेंडिंग प्रकरणों के निस्तारण का कोई फार्मूला तय करना है।
जजों की संख्या भी घटती जा रही है। हाईकोर्ट में जजों के 50 पद हैं लेकिन, कभी 40 जज भी एक साथ नहीं रहे। मुख्य न्यायाधीश सहित 22 जज हैं। नए जजों की नियुक्ति जल्द से जल्द करना और पेंडेंसी खत्म करने समेत 5 चुनौतियां हैं।
5 बड़े काम, जिससे हमें मिल सकती है बड़ी राहत
1. जजों की नियुक्तियां : हाईकोर्ट में जजों के 50 पद स्वीकृत हैं। लेकिन पूरे पद कभी नहीं भरे। अभी मुख्य न्यायाधीश सहित 22 जज ही हैं। यानी 56 प्रतिशत पद रिक्त हैं। कॉलेजियम में देरी की व्यवस्था को ठीक करना होगा।
2. 3500 प्रकरण 20 साल से पुराने : एनजेडीजी की रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट में पेंडिंग 4.44 लाख मामलों में 3589 प्रकरण 20 से 30 साल पुराने हैं।
3. अधीनस्थ अदालतों में पेंडेंसी : एनजेडीजी के अनुसार निचली अदालतों में 16 लाख 16 हजार मामले पेंडिंग हैं। इनका निस्तारण भी करना होगा।
4. तारीख की मानसिकता : जजों की कमी का असर मुकदमों के निस्तारण पर भी दिख रहा है। लोगों की मानसिकता है कि प्रकरणों का निस्तारण समय पर नहीं होता। जल्द से जल्द निपटारे का कोई विकल्प निकालना होगा।
5. ड्यू कोर्स में 20 हजार फाइलें : ड्यू कोर्स में क्रिमिनल केसेज की 20 हजार फाइलें पेंडिंग है। इसमें न पक्षकार पहल करते हैं न ही हाईकोर्ट की तरफ से अहम कदम उठाए जा रहे हैं।